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१. वीतरागभयक्रोधः स्थितधीमुळे निरुच्यते ।
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२. णाणेण य सुणी होई । जान से मुनि होता है ।
-गीता २०५६
जिसने राग, भय और क्रोध को जीत लिया एवं जो निश्चलबुद्धियाला है, उसे 'मुनि' कहा जाता है ।
- उत्तराध्ययन २५/३२
३. न मुणी रन्नवासेणं ।
जंगल में निवास करने मात्र से मुनि नहीं होता ।
४. पुढवीसमो मुणी द्विज्जा ।
-- उत्तराध्ययन २५१३१
मुनि
मुनि को पृथ्वी के समान दर्यवान होना चाहिये ।
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दशवेकालिक १००१३
५. महमसाया इसिणो भवति । ऋषि महान् प्रमादगुणवाले होते हैं।
६. मौनं मुनीनां प्रशमन्त्र धर्मः ।
मौन और वैराग्य मुनियों के मुख्य धर्म हैं। ७. तैलपात्रधरो यद्वद् राधावेधोचतां क्रियास्वनन्यचित्तः स्याद भवभीतस्तथा मुनिः ।
यथा ।
- उत्तराध्ययन १२।३१
जैसे - तेलभूत पात्र को लेकर चलनेवाला और राधावेध करते में उद्यत व्यक्ति अपनी क्रियाओं में अनन्यचित्त तल्लीन रहता
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