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________________ १० १. वीतरागभयक्रोधः स्थितधीमुळे निरुच्यते । Thes २. णाणेण य सुणी होई । जान से मुनि होता है । -गीता २०५६ जिसने राग, भय और क्रोध को जीत लिया एवं जो निश्चलबुद्धियाला है, उसे 'मुनि' कहा जाता है । - उत्तराध्ययन २५/३२ ३. न मुणी रन्नवासेणं । जंगल में निवास करने मात्र से मुनि नहीं होता । ४. पुढवीसमो मुणी द्विज्जा । -- उत्तराध्ययन २५१३१ मुनि मुनि को पृथ्वी के समान दर्यवान होना चाहिये । : दशवेकालिक १००१३ ५. महमसाया इसिणो भवति । ऋषि महान् प्रमादगुणवाले होते हैं। ६. मौनं मुनीनां प्रशमन्त्र धर्मः । मौन और वैराग्य मुनियों के मुख्य धर्म हैं। ७. तैलपात्रधरो यद्वद् राधावेधोचतां क्रियास्वनन्यचित्तः स्याद भवभीतस्तथा मुनिः । यथा । - उत्तराध्ययन १२।३१ जैसे - तेलभूत पात्र को लेकर चलनेवाला और राधावेध करते में उद्यत व्यक्ति अपनी क्रियाओं में अनन्यचित्त तल्लीन रहता ૨૪૬
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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