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साधु
१. सम्यग्दर्शनादियोग रपवर्ग साधयतीति साधुः ।
-दशवकालक १५ टीका सम्यग्दर्शनादि द्वारा जो मोक्ष की साधना करता है, वह
साधु है। २. साध्नोति स्व-पर कार्याणीति साधुः ।
जो अपने और दूसरों के आत्मिका-कार्यों को सिद्ध करता है, वह साधु है। आगमचक्खू साहू, इंदियचणि सबभूदाणि । -प्रजचनसार ३१३४ अन्य सब प्राणी इन्द्रियों की भांखवाले हैं, किन्तु साधु आगम
की आँखवाला है। ४. धर्म वित्ता हि साधन : ।
-धाद्धविधि साधु धर्मरूपी धनयुक्त होते हैं । ५. साधवी दीनवत्सलाः ।
साधु दीनदयालु होते हैं। ६. विनिहकुलुप्पण्णा साहबो कप्परखा।
नदीसूत्र पूणि २०१६ विविध कुल एवं जातियों में उत्पन्न हुए साधुपुरुष पृथ्वी के कल्पवृक्ष है।