________________
चौघा भाग : चौथा कोष्ठकः
७. चत्तारिपुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सीहत्ताए णामभेगे
णिवखंति सीहत्ताए विहरति शीतारगाम्ने मिति: सियालत्ताए विहरंति । सियालत्ताए णाममेमें णिक्यंति, सीहत्ताए बिहति । सियालत्ताए णाममेगे णिवखंति । . .सिचालताए विहरति । ..-स्थानाग ४।३।३२७ दीक्षित व्यक्ति चार प्रकार के कहे हैं ... (3) संयन् (उन्नलभावों से) दीक्षा लेकर उगविहारादि द्वारा मिहदत् पालनेवाले (धन्नासेठवन्) । (२) सिंहवात् (जन्नत भावों में) दीक्षा लेकर गालवत् (दीनदृत्ति से) गालनेवाले (कण्डरीकबत्) (३) शृगालबत् दीक्षा लेकर सिंहवत् पालनेवाले (मेतार्य मुनिवत् । (४) शृगालवत् दीक्षा लेकर शृगालवत् पालनेवाले
(मोमाचार्यवत्)। ८. चार अन्तक्रियाएं कही हैं.-- -
(१) अल्पवेदना-दीर्घपर्याय-भरलवत् । (२) महावेदना-अल्पपर्याय-गजसुकुमालवत् । (३) महावेदना-दीर्घपर्याय सनत्कुमारचक्रवतिवत् । (४) अल्पवेदना-अल्पपर्याय-मरुदेवीमातावत् ।
स्थानांग ४११२३५