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चौथा भाग चौथा कोष्ठक
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जैसे- लोकेका काठ से
ही सर्प
तरह एकान्तदृष्टि से चारित्र का पालना भी कठिन है || ३६ ॥
जिस प्रकार प्रज्वलित अग्निशिखा का पीना कठिन है, उसी प्रकार तरुणावस्था में संयम पालना बहुत कठिन है ॥ ४० ॥
जैसे -- भुजाओं से समुद्र का तैरना दुष्कर है, वैसे शान्त आत्मा द्वारा संयमरूपी समुद्र तैरना कठिन है ||४३||
हो अनुपभी बहुत