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हंगाम से लाभ
/ १. संजमेणं अणण्हयत्तं जणयई। --उत्तराध्ययन २६२६
संयम से जीव अनासव अर्थात् आनव-निरोध को उत्पन्न
करता है । २. सन्यासेनापहृत्यैनः, प्राप्नोति परमां गतिम् ।
--मनुस्मृति ६९६ आत्मा भन्यास से पापकर्म का नाश करके परमगति को
प्राप्त होता है। ६. अपवित्रः पवित्रः स्याद्, दासो विश्वेशतां भजेत् । मूों लभेत ज्ञानानि, मडक्ष दीक्षाप्रसादतः ।।
बग्दचरित्र, पृष्ठ १०६ दीक्षा के प्रभाव में अपवित्रभ्यक्ति पवित्र बन जाता है, दास जगन्नाथ बन जाता है और मुर्ख सीन ही ज्ञान प्राप्त कर लेता है। गीवन को ग्रीस का इतिहास लिखने में २० वर्ष लगे । होंगे लेकिन उसका सार इतना ही है कि ग्रीस का उत्थान संयम और सादगी से हुआ एवं पतन
विलासिता रो। ५. लोगस्स सारं धम्मो, धम्म पि स माणसारियं बिति । नाणं संजमसारं, संजमसारं च निब्वाणं ।।
-आचारांगनियुक्ति २४४