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घौमा भाग : सीसरा कोष्ठक
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मारते ही वसुजी ने उत्तर दिया-आठ अर्थात् १८ के ८ रखे गये और एक हासिल लगा। नील महोदय सहित सभी उपस्थित लोग आश्चर्य से स्तम्भित हो गये। केबल गुणन ही नहीं, लम्बे-चौड़े भाग, भिन्न, दशमलव, पुनरावर्त -दशमलव, समीकरण आदि के प्रश्न आप इतने थोड़े समय में मन ही मन लगा लेते थे कि लोग चकित रह जाते थे । लम्बी-चौडी सैकड़ों अंकों की पूर्ण गंख्याओं के वर्गमूल, घनमूल, चतुर्घातमुल पंचघातमूल आदि से लेकर १०६ वां मातमुल तक बिना कागज पंसिल के निकाल लेना आपके लिए एक दम साधारण और अधिक से अधिक एक मैकिंड का काम था।
-विचित्रा वधं ३ अंक ४, १९७१