________________
२२०
वक्तृत्वकला के बीज
७४६३८ १२५७३६४७६२८३७४३५ १७६६२६७६४३६८४१७८ ६६७६१२८५८४३५३५६८३८१४२८१२५६५६१८१५१२७६३ ६७८.२६५७८१६३६५३२८६६४१०२५:५३६३ से गुणा कीजिए ? इन अंकसमूहों पर एक दृष्टि डालकर वसु महोदय ने अपनी आँखें बंद करली और मूत्तिवत् बैठे हुए इस प्रश्न को मन ही मन लगाने लगे । स्टुडिओ की खिड़कियां खुली हुई श्रीं-वाहर सड़क पर मोटरें, लारियां फायरइंजन आदि शोर-गुल मचाते दौड़ रहे थे। लेकिन बसु महोदय की गणना में इन सबसे तनिक भी बाधा न पड़ी । वे चुपचाप बैठे हुए अपने प्रश्न को हल करते रहे । ५ मिनट ५.० संकिन्ड़ में उत्तर तैयार हो गया । उन्होंने इस प्रकार लिखा...
६३६४५८३५३२८५६३०६२५६३२८७७३६६२०१६१३१७२ ८२२०३२५६६७५४४०१७०८ १७७३५४६१८६७१६३६६७३८ २६५६५८५७२५०१०४३५७४५६६७६६१६८८३२०७२६४६७ ४१६२८२७०२७२८१५६२७८०८५४४३६६६७३५००५७७४२ ८५७६७१५८०४५७४१ ५७८२३७७४०७४१६८३४८१४८५२ ०६२३३३६३५९४.२७५७ । उत्तर मिल जाने के बाद नील महोदय ने श्री वसुजी से पूछा–६५वीं पंक्ति का ३३ वाँ अंक क्या है ? पलक