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चौथा भाग : तीसरा कोष्ठक
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१०. प्रोफेसर राममूति की शिष्या कुमारी ताराबाई
छाती पर १३|| मन के भारी पत्थर रखवाकर हथौड़ों से तुड़वाना,बालों की सहायता से मन के पत्थर की चट्टान उठा लेना,मनुष्यों से भरी समुची गाड़ी को अपनी छाती पर से पार करा देना कुमारीताराबाई के लिए बाएं हाथ का खेल था । उनका सबसे अधिक आश्चर्यजनक काम अपने माथे की सहायता से गाड़ी को ठेलकर ले जाने का था। इस गाड़ी पर अनेक आदमी भी लदे रहते थे। इतना ही नहीं, पाली के आगे एक नछुर: ५. इस था और ताराबाई इसी छुरे की नोंक पर अपना माया भिड़ा देती थी तथा गाड़ी को ठेलकर दूर तक ले
जाती थीं। ११. श्री सोमेशचन्द्र सु
१८ अप्रेल रान् १६२१ को न्यूयार्क (अमेरिका) के वैनडाइक स्टूडिओं में बंगाल प्रान्तस्थ ढाका जिले के निवासी "श्रीसोमेश चन्द्र वसू' ने योगाभ्यास द्वारा गणितसम्बन्धी एक जटिल प्रश्न का आश्चर्यजनक समाधान किया। प्रश्न. का उक्त स्टुडिओ के कलाकार श्री जॉनओ नील ने कागज का एक टुकड़ा उनकी ओर बढ़ा दिया। उसपर लिखा था८५३१२४४६६३७६८४१३२५७२६१४ २५६२६७८१२६४७३६ ८२५७३१२४८७३६४६७१२५६५३२७३४७८१७२८६३५७२३ ७४८१२५२५७४६१२८३६८२४३७६१८५३