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चौथा भाग तीसरा कोष्ठप
७. योग की गाडियों हैं
(१) मित्रा, (२) तारा, (३) बला (५) स्थिरा, (६) कान्ता, (७) प्रभा, (८) क्रमशः योग के आठों अंगों से युक्त होती हैं । प्र. योगदृष्टियों में क्रमशः नहीं होनेवाले ये आठ दोष हैं(१) खेद, (२) उद्वेग, (३) क्षेप, (४) उत्थान, ( ५ ) श्रान्ति, (६) अभ्युदय, (७) सङ्ग ( - ) आसङ्ग । है. योगदृष्टियों में क्रमशः होनेवाले आठ गुण ये हैं
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(१) अद्वेष, (२) जिज्ञासा, (३) सुश्रूषा ( ४ ) श्रवण, (५) बोध, (६) मीमांसा, (७) प्रतिपत्ति (८) प्रवृत्ति |
- योगरष्टि समुच्चय
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(४) दीप्रा,
परा – ये