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योग
१. मोक्मेण जोयणाओ, जोगो सम्बोवि धम्मववहारो।
-हरिभर-योगविशिका जो आत्मा को मोक्ष के साथ जोड़ता है, वह सभी धार्मिक
मार योग है ! २. योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः -पातंजलयोगदर्शन ११२ - चित्तवृत्ति का निरोध योग है । ३. कुशलप्रवृत्तिर्योगः ।
–बौद्ध सत्प्रवृत्ति का नाम योग है । ४. समत्वं योग उच्यते ।
.- गीता समता को योग कहते हैं । ५. यं संन्यासमिति प्राहु-योग तं विद्धि पाण्डव !
-गीता ६२ पाण्टुनन्दन ! जिसको संन्यास कहते हैं, उसी को तू योग समझ । यम-नियमाऽऽसन-प्राणायाम-प्रत्याहार-धारणा-ध्यान-- समाधयोऽष्टावङ्गानि । . --पातंजल-मोगदर्शन २०१६ योग के आठ अंग हैं(१) यम, (२) नियम, (३) आसन, (४) प्राणायाम, (५) प्रत्याहार, (६) धारणा, (७) ध्यान', (८) समाधि ।
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