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________________ २६ योग १. मोक्मेण जोयणाओ, जोगो सम्बोवि धम्मववहारो। -हरिभर-योगविशिका जो आत्मा को मोक्ष के साथ जोड़ता है, वह सभी धार्मिक मार योग है ! २. योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः -पातंजलयोगदर्शन ११२ - चित्तवृत्ति का निरोध योग है । ३. कुशलप्रवृत्तिर्योगः । –बौद्ध सत्प्रवृत्ति का नाम योग है । ४. समत्वं योग उच्यते । .- गीता समता को योग कहते हैं । ५. यं संन्यासमिति प्राहु-योग तं विद्धि पाण्डव ! -गीता ६२ पाण्टुनन्दन ! जिसको संन्यास कहते हैं, उसी को तू योग समझ । यम-नियमाऽऽसन-प्राणायाम-प्रत्याहार-धारणा-ध्यान-- समाधयोऽष्टावङ्गानि । . --पातंजल-मोगदर्शन २०१६ योग के आठ अंग हैं(१) यम, (२) नियम, (३) आसन, (४) प्राणायाम, (५) प्रत्याहार, (६) धारणा, (७) ध्यान', (८) समाधि । २०६
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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