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"बौथा भाग : तीसरा कोष्ठक
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ये पांच महायत और छट्टा रात्रिभोजन-व्रत इनको आत्मा के हिल के लिए धारण करके विचरता हूँ । सांसारिक सुखों की से नहीं ।
५. माहणेण मईमया जामा तिनि वियाहिया ।
- आचारांग ८।१
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सर्वज्ञ भगवान ने तीन याम अर्थात् महाव्रत कहे हैं - बहिसा सत्य और अपरिग्रह |