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चौथा भाग : तीसरा कोष्ठक (ख) गिरि ने छुहारा खाय, किसमिस बिदाम खाय,
सेव ने सिंघाड़ा खाय. सांठ को सवादी है। मुदपाक खंड-खीर, वरफी अकबरी रु,
कलाकंद खाय, खूब लौटे पड़ यो गादी है । आम खरबूजा खाय, काकड़ी मनीरा खाय,
मूली बोर सोगरी में, खूब प्रीति साधी है । माम तो आहार अल्प, कीन्हों भरपूर भार, कहने की एकादशी मै द्वादशी की दादी है ।
... बापरलोक्सामः