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वक्तृत्वकला के बीज ७. हैं विरले नर या जग में,
जो कहें सो करें न, करें सो कहें नां । —बाल कवि ८, संसार में तीन प्रकार के पुरुष होते हैं ..
(१) पाटल (कटहल) सइश, जो केवल फलते हैं । () रसाल (आमो मद्दम, जो जलते और फलते हैं । (३) पनस (आक) सदृश, जो केवल फूलते है। अर्थात् एक वे मनुष्य जो कहते नहीं, करते है । दूसरे कहते है और करते भी हैं । तीसरे केवल कहते हैं, करते नहीं।
- रामचरितमानस ६./कणी मोठी खांड सी, करनी विष सम होय । कहणी सी करणी हुए, तो बिष ही अमृत होय ।।
-राजस्थानी वोहा १०. शब्द पृथ्वी को पुत्रियाँ हैं और कार्य स्वर्ग के पुत्र ।
-मुएल जानसन ११. यदि वयस्कलोग उन उपदेशों पर अमल करें जो वे
बच्चों को देते हैं, तो दुनियां अगले सोमवार को ही स्वर्गतुल्य बन जाए।
--आर० किंग १२. न नश्यति तमो नाम, कृतया दीपवार्तया । म गच्छति विना पानं, ध्याधिरौषधिशब्दतः ॥
-विवेकचूडामणि दीपक की बात करने से अंधेरा नहीं मिटता और औषधि का पान किए बिना औषधि शब्द के उच्चारण करने से रोग नहीं आता।