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________________ etic १६४ वक्तृत्वकला के बीज ७. हैं विरले नर या जग में, जो कहें सो करें न, करें सो कहें नां । —बाल कवि ८, संसार में तीन प्रकार के पुरुष होते हैं .. (१) पाटल (कटहल) सइश, जो केवल फलते हैं । () रसाल (आमो मद्दम, जो जलते और फलते हैं । (३) पनस (आक) सदृश, जो केवल फूलते है। अर्थात् एक वे मनुष्य जो कहते नहीं, करते है । दूसरे कहते है और करते भी हैं । तीसरे केवल कहते हैं, करते नहीं। - रामचरितमानस ६./कणी मोठी खांड सी, करनी विष सम होय । कहणी सी करणी हुए, तो बिष ही अमृत होय ।। -राजस्थानी वोहा १०. शब्द पृथ्वी को पुत्रियाँ हैं और कार्य स्वर्ग के पुत्र । -मुएल जानसन ११. यदि वयस्कलोग उन उपदेशों पर अमल करें जो वे बच्चों को देते हैं, तो दुनियां अगले सोमवार को ही स्वर्गतुल्य बन जाए। --आर० किंग १२. न नश्यति तमो नाम, कृतया दीपवार्तया । म गच्छति विना पानं, ध्याधिरौषधिशब्दतः ॥ -विवेकचूडामणि दीपक की बात करने से अंधेरा नहीं मिटता और औषधि का पान किए बिना औषधि शब्द के उच्चारण करने से रोग नहीं आता।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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