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कथन के समान आवरण आवश्यक
१. यथा वाचि तथा क्रियायाम् । कथनी के समान करनी भी होनी चाहिए ।
कहनी करनी एकसार बना, तुलसी तेरापथ पाएँ हम । - आचार्य तुलसी
२. करणी है रहणी नहीं, रहणी का घर दूर । कहणी तो कारा करे, चारों वेद मजूर |
३. हमें कहना आता है,
करना नहीं आता । चलना नहीं आता ।
हमें बोलना आता है, ४. यह कितनी गलत बात है कि हम मैले रहें और दूसरों को साफ रहने की सलाह दें ।
गाँधी
५. यहि कथिरा तं हि वदे, यं न कथिरा न तं बदे । अकरोन्तं भासमानं, परिजानन्ति पण्डिता ॥
थेरगाथा ३।२२६
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-- राजस्थानी दोहा
जो कर सके, वही कहना चाहिए, जो न कर सके, वह नहीं कहना चाहिए। जो कहता है पर करता नहीं उसकी विद्वान् निन्दा करते हैं ।
६. ऐ ईमान वालो 1 क्यों कहते हो ऐसी बात जो करते
1
नहीं ।
- कुरान० ६१:२
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