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________________ २१ कथन के समान आवरण आवश्यक १. यथा वाचि तथा क्रियायाम् । कथनी के समान करनी भी होनी चाहिए । कहनी करनी एकसार बना, तुलसी तेरापथ पाएँ हम । - आचार्य तुलसी २. करणी है रहणी नहीं, रहणी का घर दूर । कहणी तो कारा करे, चारों वेद मजूर | ३. हमें कहना आता है, करना नहीं आता । चलना नहीं आता । हमें बोलना आता है, ४. यह कितनी गलत बात है कि हम मैले रहें और दूसरों को साफ रहने की सलाह दें । गाँधी ५. यहि कथिरा तं हि वदे, यं न कथिरा न तं बदे । अकरोन्तं भासमानं, परिजानन्ति पण्डिता ॥ थेरगाथा ३।२२६ १३ -- राजस्थानी दोहा जो कर सके, वही कहना चाहिए, जो न कर सके, वह नहीं कहना चाहिए। जो कहता है पर करता नहीं उसकी विद्वान् निन्दा करते हैं । ६. ऐ ईमान वालो 1 क्यों कहते हो ऐसी बात जो करते 1 नहीं । - कुरान० ६१:२ १६३
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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