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________________ तृत्वकला के बीज २. जिसने शान को आवरण में उतार लिया. उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया । -विनोबा द्रोणाचार्य ने क्षमाकुरु ने ७. कौरवां पाण्डवों का पढ़ाते समय यह पाठ पढ़ाया। सबने याद करके सुना दिया। युधिष्ठिर ने कहा- अभी याद नहीं हुआ । गुरु धमकाया। दूसरे दिन फिर पूछा। वही उत्तर मिला ! द्रोणाचार्य मे उन्हें खूब पीटा। इस प्रकार कई दिन मार खाते-खाते याद हुआ। गुरु के पूछने पर धर्मपुत्र ने रहस्य खोला कि जब तक क्रोध आता रहा तब तक याद हुआ यह कैसे कहूँ ? ८. चार वेदों के ज्ञाता को अपेक्षा उनको आचरण में लानेबाला बड़ा है । - एक विचारक 5. करनी करें सो पूत हमारा, कथनी करें सो नाती । रहणी रहे सो गुरु हमारा, हम रहणी के साथी || - कबीर १०. गांधी जी जब लन्दन में रहते थे, एक पादरी ने ईसाई बनाने की नीयत से उन्हें भोजन का निमन्त्रण देता तथा उनके लिए खाना अलग बनवाया करता । पादरी के बच्चों ने पूछा- खाना अलग क्यों बनाया जाता है ? पादरी ने कहा- ये अहिंसक है, मांस नहीं खाते, इसलिए खाना अलग बनाया जाता है। बच्चों ने फिर प्रश्न किया वे मांस क्यों नहीं खाते ? तब पादरी
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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