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आचारवान्
१. अज्ञभ्या ग्रन्थिनः श्रेष्ठा, मन्थिभ्यो धारिणो वराः । धारिभ्यो ज्ञानिनः श्रेष्ठा, ज्ञानिभ्यो व्यवसायिनः ।
-मनुस्मृति १२६१०३ अजों से ग्रन्थ पढ़नेवाले श्रेष्ठ हैं, उनसे ग्रन्थों को धारनेवाले (याद रखनेवाले) श्रेष्ठ हैं, उनमें ग्रन्थों के रहस्प को जाननेवाले ज्ञानी थेट हैं और ज्ञानियों से तदनुकूल आचरण करने
वाले श्रेष्ट होने हैं। २. जो नेक अमल करेगा, वह अपनी राह संवारेमा ।
-तुरान० ३०४४ ३. तिष्ठति प्रकृताचारे संब आर्य इति स्मृतः ।
जो प्राकृतिक आचरण का अनुसरण करता है, वही आर्य माना गया है।
४. आया रकुसले ।
आचार्यपद के अधिकारी को सबसे पहले आचार-कुशल होना
आवश्यक है। ५. जो सीखो उसे अमल में लाओ।
-पहेलवाटक्सट्स