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________________ आचरण बिना ज्ञान अध्यात्मशास्त्र की बड़ी-बड़ी बातें बनानेवाले बोड़ीसिगरेट गूम होते ही लाल-पीले होने लगते है, भगलती के भांगे अंगुलियों पर गिन लेने वाले धावक हराम का पैसा हजम कर जाते हैं, समयसार का निचोड़ निकालनेवाले भाई भाइयों से लड़ते नहीं शरमाते । वेद, उपनिषद्, गोता, पुराण, कुरान व बाइबिल के ज्ञाता रंडियो में भटकने से बाज नहीं आते । अब बतलाइए कि आच रण के सुधरे विना ज्ञान का क्या मूल्य ? २. जो कुछ नहीं करता, वह कुछ. नहीं जानता, अपने सिद्धान्तों को परखो कि वे आग्नपरीक्षा में खरे उतरते हैं या नहीं। - -एलोयासिस १८८
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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