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प्रत्याख्यान
११. परिहरणीय वस्तु प्रति-आख्यानं प्रत्याख्यानम् ।
- आवश्यक मलयगिरि, अ० १ त्याज्य वस्तु के प्रति गुमसाक्षी से निषेधात्मक कथन को प्रत्याख्यान वाहते हैं !
२. सेणं पच्चखाणे किं फले ? गोयमा ! संजमे फले ।
-भगवती २२५ भगवन् ! प्रत्याख्यान से क्या फल ? गौतम ! प्रत्याख्यान से संयम का फल मिलता है।
पच्चरखाणेणं यासक्दाराइ निरु भइ, पच्चक्खाणेणं इच्छानिरोई जणयइ ।
-उराराश्ययन २६११३ प्रत्याख्यान से आश्रवद्वारों का तथा इच्छा-अभिलाषा का निरोध होता है।
जो जीवादिपदार्थों का ज्ञान किए बिना जोवहिंसा का प्रत्याख्यान करता है, उसका प्रत्याख्यान दुष्प्रत्याख्यान है एवं जो ज्ञानपूर्वक करता है, उसका प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान है।
-गवती ७२
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