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________________ त्याग १, त्याग एव हि सर्वेषां, मुक्तिसाधनमुत्तमम् । —माल्लवीय श्रुति सभी के लिये त्याग ही मुक्ति-प्राप्ति का उत्तम साधन है। त्यागाच्छान्तिरनन्तरम् । त्याग से शाश्वत शान्ति मिलती है । ३. त्याग कियां आवे तुरत, जो कोई वस्तु जरूर । आश कियां थी, 'आशिया' ! जाती देखो दूर । -राजस्थानी वोहा ४. नास्ति विद्यासमं चक्ष :, नास्ति सत्यसमं तपः । नास्ति रागसमं दुःखं, नास्ति त्यागसमं सुखम् । -महाभारत शान्तिपर्व १२ विद्या के समान चक्ष नहीं, सत्य के समान तप नहीं, राग के समान दुःन नहीं और त्याग के समान सुख नहीं । ५. मेवे खाओ त्याग के, जो चाहो आराम । इन भोगों में क्या धरा, (है) नकली आम-बदाम ॥ -दोहा-संदोह ६. चिकनी पट्टी पर खडिया लगाए बिना लिखा नहीं जाता, भोगी आत्मा पर त्याग की खड़ी लगाओ ! त्याग नाग नहीं, सिंह-बाघ नहीं, माग नहीं भयवारो रे। हृदय-विराग भाग-जागरणा, क्यू' कंप मन थारो रे । श्रावकवत धारी! -आचार्य तुलसी
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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