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चारित्र से लाभ
१. चरितण निगिलाइ ।
--उत्तरध्ययन २८।३५ चारित्र से आत्मा आत्रवों का निग्रह करती है। २. चरित्तसंपन्नयाए सेलेसीभाव जणयइ।
-उत्तराध्ययन ६६१ चारित्र की संपन्नता से जीव शैलेशीभाव अर्थात चौदहवें गुण
स्थान की अडोलस्थिति को प्राप्त होता है। ३. अपनी अपूर्णता दूर करनेवाला व्यक्ति एक दिन समाज __ की अपूर्णता दूर करने में भी समर्थ हो सकता है।
–धूमकेतु ४. उत्तम व्यक्ति शब्दों में सुस्त और चारित्र में चुस्त होता
___ - फन्पमूसियस ५. यदि मैं अपने चारित्र की परवाह करूगा तो कीर्ति
__ स्वयं अपनी परवाह करेगी। -डी० एस० मूजी ६. चारित्रवान व्यक्ति अपना दोष सुनना पसन्द करते है,
चारित्रहीन नहीं।
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