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चौथा भाग : तीसरा कोष्टक
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तत्त्व को जैमा जानते हैं, उसी प्रकार आचरण कर सकनेवाले
व्यक्ति विरले हैं। १५. सुननेवाले करोड़ों हैं, सुनानेवाले लाखों हैं, समझनेवाले
हजारों हैं, किन्तु समझे मुताबिक आचरण करनेवाले
विरले ही हैं। १५. आज धर्म का मात्र लेबल है। सोल मोहर कायम रहते
हुए भी माल गायब है।