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________________ चारित्र की रक्षा १. जाइमरणं परिलायं, घरे संकमणे दढे । -आचारांग २१३ जन्म-मरण के स्वरूप को भलीभांति समझकर चारित्र में हल होकर विचरना चाहिए । २. वृत्तं यत्नेन संरक्ष द्, वित्तमायाति याति च । अक्षीणो वित्ततः क्षीणो. वृत्ततस्तु हतो हतः ।। .. विदुरनीति ४।१३० यन्नपूर्वक चारित्र की रक्षा करो, धन तो आता है, चला जाता है । धनहीन व्यक्ति वास्तव में क्षीण नहीं है, किन्तु जो चारित्र से क्षीण हो गया, वह तो सचमुच ही मर गया । ३. If wealth is lost nothing is lost. If health is lost something is lost. If chractor is lost everything is lost. इफ वैल्थ इज लोस्ट नथिंग इज लोस्ट । इफ हैल्थ इज लोस्ट समथिंग इज लोस्ट । इफ करेक्टर इज लोस्ट एवरीथिंग इज लास्ट । --अंग्रेजो कहावत धन खोत्रा कुछ भी नहीं खोया, तन' खोया कुछ खोया । अगर खो दिया सच्चरित्र को, तो धन ! सब कुछ खोया । -वोहा-संवोह
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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