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चारित्र का महत्व
१. कि मुत्तम ? सच्चरितं यदस्ति । -शंकर-प्रश्नोत्तरी
क्या वस्तु उत्तम है ? जो सच्चरित्र है, यही । २. बुद्धि से चारित्र बढ़कर है ।
___ -इमर्सन ३. चारित्र एक ऐसा हीरा है जो अन्य सभी पाषाणखंडों को काट डालता है।
-बारटल ४. जिनेश्वरैस्तद् गदितं चरित्र, समस्तकर्मक्षयहेतुभूतम् ।
__ -सुभाषितरत्नसम्वोह चारित्र समस्त कर्मों का क्षय करनेवाला है--ऐसा जिनेश्वर
देवों ने कहा है। ५. चारित्र वृक्ष है और प्रतिष्ठा छाया।
–बाहिम लिंकन ६. जीवन का लक्ष्य सुख नहीं, चारित्र है। -वीधर
चरितं खलु धम्मो, धम्मो जो सो समो ति णिहिटो। मोहक्खोहविहीणो, परिणामो अप्पणो हु समो।।
-प्रवचनसार १७ चारित्र ही वास्तव में धर्म है, और जो धर्म है, वह समत्व है । मोह और. क्षोभ से रहित आत्मा का अपना शुद्ध परिणमन ही समत्व है।