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________________ १६४ ८. भुङ्क्ते न केवलो न स्त्री- मोक्षमाहु दिगम्बराः । वक्तृत्वकला के बीज ६. मैं मानता हूं धर्मशास्त्रों में, दिगम्बर जैन कहते हैं कि केवलज्ञानी भोजन नहीं करते और स्त्री को मोक्ष नहीं मिलता । -- विवेक- विलास १०. वेद पौरुषय -- ऊँचे-ऊँचे और अच्छे विचार धार्मिक लोग पूजा-पाठ और क्रियाकाण्डों में वैसे बरकरार हैं । लेकिन बात तो सारी इसी सवाल पर आकर अटक जाती है, कि उन सिद्धान्तों पर कुर्बान होने के लिए कौन-कौन तैयार हैं ? - 'खुले आकाश' से ताल्वादिजन्मा ननु वर्णवर्गों, वर्णात्मको वेद इति स्फुटं च । पुंसश्च ताल्वादि ततः कथंस्थादपौरुषेयोऽयमिति प्रतीतिः ।। वर्णों का समूह तालु आदि से उत्पन्न होता है। वेद वर्णात्मक है - यह स्पष्ट है । तालु आदि पुरुष के होते हैं फिर वेद अपौषेय (पुरुष के वगैर उत्पन्न होनेवाले ) कैसे कहे जा सकते हैं ? 冲
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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