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८. भुङ्क्ते न केवलो न स्त्री- मोक्षमाहु दिगम्बराः ।
वक्तृत्वकला के बीज
६. मैं मानता हूं धर्मशास्त्रों में,
दिगम्बर जैन कहते हैं कि केवलज्ञानी भोजन नहीं करते और स्त्री को मोक्ष नहीं मिलता ।
-- विवेक- विलास
१०. वेद पौरुषय --
ऊँचे-ऊँचे और अच्छे विचार धार्मिक लोग पूजा-पाठ और
क्रियाकाण्डों में वैसे बरकरार हैं । लेकिन बात तो सारी
इसी सवाल पर आकर अटक जाती है, कि उन सिद्धान्तों पर कुर्बान
होने के लिए कौन-कौन तैयार हैं ?
- 'खुले आकाश' से
ताल्वादिजन्मा ननु वर्णवर्गों, वर्णात्मको वेद इति स्फुटं च ।
पुंसश्च ताल्वादि ततः कथंस्थादपौरुषेयोऽयमिति प्रतीतिः ।।
वर्णों का समूह तालु आदि से उत्पन्न होता है। वेद वर्णात्मक
है - यह स्पष्ट है । तालु आदि पुरुष के होते हैं फिर वेद अपौषेय (पुरुष के वगैर उत्पन्न होनेवाले ) कैसे कहे जा सकते हैं ?
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