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सम्यक्त्व से लाभ
१. दसणसंपन्नयाएणं भवमिच्छत्तछेयणं करेई ।
.... उत्तराध्ययन २९८६० सम्यग्दर्शन की संपन्नता से आत्मा भवभ्रमण के हेतुभूत
मिथ्यात्व का छंदन करता है। २. सम्यक्त्वेन हि युक्तस्य, ध्रुवं निर्वाणसंगमः ।
___-तत्वामत सम्यक्त्वयुक्त आत्मा को अवश्य मुक्ति प्राप्त होती है। अंतोमुत्तमित्त पि, फासियं हुज्ज जेहि सम्मत्त तेसि अवड्ढपुग्गल-परियट्टो चेव संसारो।
-धर्मसंग्रह अधिकार २।२१ टीका जो जीव अन्तर्मुहूर्त मात्र भी सम्यक्त्व को स्पर्श कर लेते हैं, उन के केवल अद्ध पुद्गल–परावर्तन संसार घोष रह जाता है ।
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