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________________ चौथा भाग : दूसरा कोष्ठक १०७ ७. एक शताब्दी का दर्शन ही दूसरी शताब्दी का सामान्यज्ञान होता है। ___ -हेनरीमार्ड मोडर . . दर्शन के अभाव में धर्म केवल अंधविश्वास मात्र रह जाता है और धर्म का बहिष्कार करने पर दर्शन केवल शुष्क नास्तिकवाद बना रहता है। --विवेकानम्ब दर्शन से लाभ१. सणेण य सद्दहे। - उत्तरराध्ययन २८-३५ जोव दर्शन' से तत्त्वों की श्रद्धा करता है । २. दर्शन जीवन के सभी भागों में उपयोगी है-कहीं वह उत्तेजक है, कहीं अवरोधक है और कहीं व्यापक है । वह सत्प्रवृत्ति का उत्तेजक है, असत्प्रवृत्ति का अवरोधक है । और सदाचार की दिशा में व्यापक है । -आचार्य तुलसी ३. श्रोड़ी दार्शनिकता मनुष्य को नास्तिकता की ओर झुकाती है, किन्तु उसकी गहनता मुक्ति की ओर ले जाती है। –बेकन दर्शन के भेषदुविहे देसणे पण्णत्ते, त जहा–सम्मदसणे चेव, मिच्छादसणे चेव । -स्थानांग-२१ दर्शन दो प्रकार का पाना है—सम्यग्दर्शन और मिथ्यादर्शन । बौद्ध नैयायिक सांख्य, जैनं वैशेषिक तथा । जैमनीयं च नामानि, दर्शनानामिमान्यहो ! -पदर्शनसमुन्वय ३
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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