SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दर्शन १. दर्शन का अर्थे ज्ञान, मनन, चिन्तन, विचार, कल्पना या गंभीरविषय हो सकता है, किन्तु वास्तविक अर्थ तत्त्वज्ञान है। वैदिक विचार-विमर्शन-प्रकरण-५ २. दर्शन का सीधा अर्थ है देखना या दृष्टि । उसका तात्त्विक अर्थ है-सत्य का साक्षात्कार या सत्य का सामीप्य । -आचार्य तुलसी . दर्शन दृष्टि है, धर्म उसको देखने का प्रयास । दर्शन साध्य का निश्चय है, धर्म उसको पाने का प्रयास । पर आज दर्शन का अर्थ आग्रह और धर्म का अर्थ रूढ़ि हो रहा है। .आचार्य तुलसी ४. सारा दर्शन दो शब्दों में है-जीवित रहने के लिए खाओ और अनावश्यक वस्तु से बचो। -इपिष्टेट्स ५. कहां से ? किधर ? कैसे ? और क्यों ?—ये प्रश्न संपूर्ण दर्शन को आत्मसात् कर लेते हैं। ..-जूबर्ट जो कुछ सत्य है, उसका अन्वेषण और जो उचित है, उसको कार्य में परिणति-दर्शन के ये दो महान् ध्येय -~~वास्टेयर
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy