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________________ वक्तृत्वकला के बीज ४. जाके पाँव न फटी विवाई, सो क्या जाने पीर पराई। -हिन्दी कहावत ५. मैं पियां क ऐसी प्यारी, पिया मैंने देखे दिन च सौ-सौ बारो, मैं हंसा पिया मुख मोड़े, गया सियाला आया हाड़, पिया मैनु भुल्या बारंबार । —पंजाबी कहावत अद्भुत अनुभवीएक आदमी इलाज करवाता-करवाता हार गया लेकिन सिर दर्द नहीं मिटा । एक भील ने जड़ी घिसकर दोदो नीद-नीट न उसके बादी में डालीं: मोदी देर बाद जोर से छों के आईं और कई गोल-गोल नाड़े उसके नाक में से निकले । उसी दिन से सिर-दर्द मिट गया। ___-. मेवाड़ की घटना एक गर्भवती स्त्री को छींक आई और गर्भस्थित बच्चे की मुट्ठी खुली । वाफ्स बन्द होते समय माता की एक खास नाड़ी मुट्ठी के बीच में आगई । माता को भयंकर पीड़ा होने लगी । एवं थोड़ी देर में वह बेहोश होगई। मृत समझकर घरवाले रोने-पीटने लगे । एक अनुभवी पड़ोसी ने सारा हाल सुना और उस स्त्री के कान के पास जाकर बंदूक का धड़ाका किया ! बस डर से बच्चे की मुट्ठी पुनः खुली एवं नाड़ी मूलरूप में आ गई और स्त्री बच गई। -हाड़ोती प्रवेश की घटना
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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