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________________ परीक्षा - १. विरुद्धनानायुक्तिप्राबल्यदौर्बल्यावधारणाय प्रवर्तमानोविचार: परीक्षा 1 -न्यायदीपिका, पृष्ठ ८ स्वविरुद्ध विविधयुक्तियों की प्रबलता की दुर्बलता का निर्णय करने के लिये जो विचार की प्रवृसि होती है उसका नाम परीक्षा है। २. परीक्षा मनुष्य को मापने का एक थर्मामीटर है। -धनमुनि ३. परीक्षा गुणों को अवगुण और सुन्दर को असुन्दर बनानेवाली वस्तु है । प्रेम इससे उल्टा है। -प्रेमचन्द व्यक्ति के अन्दर भी उतना ही झांकना चाहिए, जितना उसके ऊपर । -चेस्टर फोड ५. रत्न बिना रगड़ा खाये नहीं चमकता, मनुष्य बिना परीक्षा के पूर्ण नहीं होता । –धौनी कहावत
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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