________________
अनुभवहीन
१. सावण र जायोड़े (गधै) ने हर्यो ही हो दोसै तथा
सावण ₹ आंधे में हों ही हर्यो दीस ।
२. पढ्यांहां पण कठ्या कोनी, भण्याहां पण गुण्या कोनी !
-राजस्थानी कहावतें
३. सन १८५६ में जब वम्बई के अन्दर मरी का राग चला
था, तब बहुत से लोग भागकर गाँवों में चले गए थे । उस वक्त बड़ी-बड़ी सेठानियां भी पंखा हिलाती हुई सिंघड़ियों के पास बैठती थीं और उनके जेंटिलमैन । पति पाकशास्त्र का सहारा लेकर उनकी मदद करते थे। मूंग की दाल के बड़े बनाने की विधि में लिखा था कि आधा सेर मूंग की दाल को चार घंटा पानी में भिगो कर शिला पर पीसना । फिर इसमें नमक दो तोला, हींग दो बाल, धनिया-जीरा आदि का संभार चार तोला, इमली दो तोला, हल्दी आधा तोला, गुड़ दो तोला, कोथमीर-अदरख-हरी मिर्च आदि चार तोला, नारियल'