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वक्तृत्वकला के बीज
दिल्ली में डॉक्टर जोशी ने तीन लाख रुपये लेकर अजमेर निवासी एक धनिक के मस्तक से जीवित मेढ़क
निकाला । रोगी विलायतों तक भटक आया था । ६. कोटले के नबाब ने पर्दे के अन्दर बिल्ली के पैर के डॉग
बाँधकर उसका एक किनारा यति जी को पकड़ाकर पूछा- देखिये बेगम साहिबा की नाड़ो क्या कहती है ?
यतिजी ने कहा-चूहा खाऊँ । चूहा खाऊँ ! ७. सरपुरा गांव में हरजामलजी गोलछा के यहां देशनोका
निवासी रमजॉन तेली ने चाँदी को वाती स धी का दीप जलाकर उसके काजल से संग्रहणी तथा लाल मकोड़ों के राबलियों को उबालकर उस पानी से पेट का दर्द मिटा दिया । (रमजान छ: मास पूर्व का खाया
हुआ बता देता था ।) ८. अबादा गांव में एक स्वामी आनन्दपुरी हैं । वह रोगा के
हाथ में तिनका पकड़ा कर नाड़ी देखते हैं तथा उससे
रोग का निदान करते हैं। है. सिरसा निवासी श्रावक श्री भगवानदासजी पारख नाड़ी
के आधार पर कितना दिन जीएगा-यह वता देते थे । श्री केवल मुनि की नाड़ी देखकर उन्होंने यह कहा था कि इनकी उत्कृष्ट स्थिति सोलह प्रहर है-बात बिल्कुल
ठीक निकली। १०. एक मुसाफिर के हाथ पर रेल की खिड़की गिर पड़ो।