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________________ वक्तृत्वकला के बीज ३६८ रत्नो स जड़ी हुई है। उसका मूल्य तीन हजार पौंड है, उसमें १६८ मोती, १३२ लाले, व १०६ हीरे हैं। --जयभारत टाइम्स १ मई, १९५५ संसार की सबसे बड़ी पुस्तक का प्रकाशनकैम्ब्रिज, १२ मई (१६६८) दुनियां की आज तक की सबसे बड़ी किताब कैम्ब्रिजशायर के विस्बेच स्थित वाल्डिग तथा मैनसल लिमिटेड छापेखाने में छप रही है। यह पुस्तक जब छप कर तैयार होगी तब इसका वजन होगा--डेढ़ टन ! यह पुस्तक ६१० जिल्दों में होगी। प्रत्येक जिल्द होगी–७०४ पृष्ठों की। इस पुस्तम की दो हजार प्रतियां छप रही हैं । इन प्रतियों के छपने में दो साल लगेंगे। यह पुस्तक है अमरीकी कांग्रेस के पुस्तकालयों की सूची । अमरीका के दो हजार पुस्तकालयों की तमाम पुस्तकों की सूची इसमें दी जाएगी । ब्रिटिश-छापाखाना इस पुस्तक को छापने के लिए ५० लाख पौण्ड ले रहा है। -वभारतटाइम्स. १३ मई, ११६८ ८. समाचारपत्र १६६६ के अन्त में भारत में कुल १०६७५ समाचारपत्र और नियतकालिक पत्र-पत्रिकाएँ थीं, जबकि १६६५ के अन्त में इनकी संख्या १००८५ थीं। हिन्दी में सबसे अधिक १६३१ पत्र-पत्रिकाएँ थीं। इसके बाद अंग्रेजों में
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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