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स्वकला के बीज
साथ-साथ युक्ति भी आवश्यक है, क्योंकि युक्तिहीन विचारों से हानि होती है ।
४. जुत्तं अजुतं जोगं न प्रमाणमिति बाहुकेण अरहता इसिणा ऋषिभाषित १४
बुइयं ।
युक्त बात भी यदि अयुक्त विचार के साथ है तो वह प्रमाणस्वरूप नहीं है -- ऐसे बाहुक आहेतयि ने कहा है ।