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चतुर्थः परिकलेदः । हाथी की कौन-सी वस्तु प्रशंसनीय है ! मदअल; पशिशर का बोधक कौन शब्द है । 'विशाम्य; यश किससे प्राप्त होता है ! 'युद्ध से'; और गरुण सदेव केला रहता है के और मि से कोरिज
टिप्पणी—यहाँ र उपर्युक्त चारों प्रों में किसी का उत्सर स्पष्ट है और किसी का अस्पष्ट । जैसे 'गह कैसा रहता है। इस प्रश्न का उत्तर स्पष्ट है कि वह (गरुड)शनषों के वैरी विष्णु से शोभित रहता है। किन्तु शेष तीनों प्रक्षों का उत्तर गूट है । अतः यह ग्यताध्यक्त प्रश्नोत्तर अलकार का उदाहरण है ।। ३ ।।
छानी ग्रन्थकार इदमलकारकर्तृत्त्वख्याफ्नाय वाग्भटामिपस्य महाकवेमंदामात्यस्य तमाम गायकथा निदर्शयति---
धम्भण्डसुत्तिसम्पुखमुक्तिअमणिणो पहासमूह व्य । सिरिवाहड त्ति तणओ आसि अहो तस्स सोमस्स ॥१४७ ।।
[प्रमाणहशुक्तिसम्पुटमौक्तिकमणेः प्रमासमूह एव ।
मोबाइड इसि तनय पासीद्धस्तस्य सोमस्य ॥ ] तस्याप्यत्र गाथायामनिर्दिष्टस्य श्रीवाग्मठः श्रीवास्न प्रति वनय पासीत् । कीदृशः । सूरोऽपि सुधः। विरोधालारोन समवगन्तव्यः। उप्रेक्षते-प्रमायुक्तिसम्पुटमौक्तिकमणेः प्रभासमा पत्र तया ॥ १४७ ।।
प्रहारस्प सीपी से उत्पन्न मुकामणि के समान उन सोम (सोमदेव अधका चन्द्रमा)को कान्तिपुल के समान श्रीवाग्भट भामक बुद्धिमान् (अथवा शुधनाह) पुत्र उत्पन हुआ। ___ टिप्पणी-प्राणसीपी में रूपक, सोम में श्लेष, श्रीवाग्मद का वर्णन होने से माति और कान्तिपुझके समान इस कथन से सस्प्रेचालकार है। असः रूपक, एलेष, जाति और उमेशा-हन अधकारों के सम्मिश्रण से यहाँ पर 'संकर' नामक भकाहार है।११७ ॥
बारलोकेषु येलहारा यथानामानः कथितास्ते सर्वे घ्याख्याताः। अन्येषु ग्रन्थेचन्ये भावोऽलङ्कारसः भूयन्ते, तेऽन्न नोक्ता इस्याइ
अचमत्कारिता वा स्यादुक्कान्ताव एव च ।
अलक्रियाणामन्यासामनिबन्थे निबन्धनम् ॥ १४ ॥ अभ्यासामलझियाणामनिवन्धने ममणने निधनं कारणम् । अचमत्कारिता स्यात् । उक्वेन्योऽन्येषां मध्ये न कोऽपि तापचमत्कारः। चमत्कार विना कथनप्रयास पच स्याध फळ किमपि मनमा छकान्तमांब शव । मनुका कान्तरन्तमंन्तस्यर्थः ॥ १४८ ॥
समाधि-भावि) समारो की याहाँ पर रिपेनाने का कारण