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सिन्दूका एवं मन्त्री श्री कपूरचन्द जी पाटनी और प्र. का. के सभी मान्य सदस्यों का बहुत अधिक प्रभारी हू कि जिन्होंने इस काव्य को प्रकाशित करा कर मेरे परिश्रम को सफल बनाया तथा सहयोगी डा. श्री कस्तूरचन्दजी कासलीवाल एवं पं. श्री धनूपचन्दजी सा. का भी बहुत प्रभारी हूँ कि जिन्होंने इसके प्रूफ प्रावि के संशोधन में अपना प्रमूल्य समय प्रदान किया ।
विनीत मूलधन्व शास्त्री