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स्टेद
आइसह नाह मह तमरित्त एयारिस सो हुअ किनिमित्त । कम्माणि तेण कह अज्जियाई आइतिक्खाणि य जिणि सज्जि- | याई ।।४१।। इय पुच्छिय सत्थमणेण तेण पहु बज्जरेइ महुरस्सरेण । इत्थेव अस्थि पुर सयदुवार तिहि राय आसि धणवइ उदार ॥४२।। तस्सेह विजयवद्धणऽभिहाण वरखेडय धनधणोहट्ठाण । जसु केडइ पंचसयाई गाम नाणाविषणवणमणभिराम ।।४३ ।। इकाईतिहि रउड आसि जसु दुम्मइ चितिहि बस इ वासि । जो पाडह सज्जणलोयपासि बहकड करेवि निघणमहासि ॥४४। चिताहिगार गामाण तस्स अप्पिय निवेण निघणमणस्स । गामीण लोय दुस्सह करेण सो पीडइ अइकरतणेण ।।४५।। नहु तिवख दुक्ख लोयह गणेइ बिन्नसी कन्निहि नहु मुणेइ । निमुणंतु वि असुगंतो व्व होइ अउ दुखररोस समुधबहेइ ।।४६।। आरंभइ दंभमहापवंच गिहइ नियह स्थिहि उन लंच । लोयह संताब इ वार वार नहु दुस्थिय सत्थह कुणइ सार ।।४७।। तज्जइ तह ताडइ निठुरेहिं दढलेट्टमुट्टिकसमुग्गरे हि । किविगुत्तिहि बंधइ संकलेहि ब्बंबइ रंधइ अग्गलेहि ।।४८।। न कयावि दयापरया इमरस लोयाण मुवरि कयनिग्गहस्स । अइलुद्धथद्ध निद्धंधसस्स नहु धम्म बराइ खलु चित्ति तस्स ।।४९।। नहु ल जइ सजइ पाचकम्म अन्नद अकज परडेइ मम्म । इचाई माई गमइ काल एयारिस चिर कुविउव्व काल ।।५।। उप्पन्न अकयपुन्नस्स तस्स भवि तम्मि रोग सोलस अवस्स । जरखाससास तह कुच्छिसूल अइदुस्सह दुक्खइ कन्नमूल ५१।। तह अरिस भगंदर दिटिपुट्ठि सूलुभव तणु परिसडियकुटि । तणुदाह जलोदर सोसपोस इच्चाइ सुदुस्सह कम्मदोस ॥५२॥ अणुहबइ हुनइ अइहीणदीण आमयसि नडीयउ दुक्ख रीण । तो दंसिय अगयंकारयाण तप्परियरि बहुगुणकारयाण ।।५३॥ तेहि बि परिचत्तः सो
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