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पस्सामो | अम्हे सुहेण क्यामो परघरवत्तं । केवलमम्हेहि माया न हु सकिज काउं जहा अन्नेहि किजइ माइपिय राणं पि चरियं फुडमेव साहिज्जइ जुत्ताजुत्तमवि । जइ कोऽवि रूस कोऽवि तूसइ, तओ अम्हे कि करेमो ? " तत्तो बराइया विगहापराइया सती जाया अगरिहा सदुवएसाणमेसा, तओ उदक्खिया भिक्खुणीहि, पिसाइ व्व न कोऽवि आभासड़ तं । अन्नया निस्संकीभूया भूयाहिट्टिय व्वसा गुरुसन्निहाणमासज्ज वक्खाणपखणे वत्थंचलेण मुहदुवारं पिहिता कस्सऽवि कण्णमूले ठच्चा किचि अवाह, अवराण अवरं जहाजहा लवंती अरण्णमत्तमहिंसि व्व पल्ललजलं सव्वं सभासीजणं कलुसियचित्तं कुणइ, धणवदनंदिणि शि न कोऽवि तं पडिभासइ । कयावि गुरूहि पि निवारिया संती लवइ "भयवं केणावि सद्धि वत्तं न करोमि, परं जइ केणावि पुट्टमत्थं न कहिज्जड़ तओ न हु साहुबाओ लभ" । तत्तो गुरूहि पिनिगला मुका । तओ निरासंका वंका गाढवरमंगबंगेहि विगहाए गहिया । अह परावण्णवायाऽभी रूए भीरूए तीए पुव्वाहीयं सुयं सव्वमव विस्सरियमपरावत्तणदोसेण । न सरइ कयाइ वयाई । नालोयइ तदइयाराई । न सज्ज चिइवंदणम्मि कम्मवि वागत्यवित्यरे । तत्रत्थवि सत्ये रमइ खणमवि न हु चित्तं । अणायरेणेव कुणइ आवरस्यकिरियापव्भारं । अन्नया घरंगणोत्रविद्वाए परासम्भसणिक निट्ठाए पाविट्ठाए निकट्ठाए पासट्ठियजणमपासिता पारद्धा विरुद्धा रायहरकहा - " एयस्स महोबइणो निगुणोचिया अग्गमहिसी महादुसीला सम्ममहमेयं जाणामि, सोह
गेण नरेण में वृत्तं," इमं गुत्तं अदिट्ठमस्सुयपुब्वमेयं पयासंती सा, तीरट्टियाए कम्मि कज्जे तत्थागयाए रायचेडीयाए थिरीभूय सव्वं निसामियं, घरे गंतूण निवेइयं महिसीए । एस वइयरो तीए वि रनो साहिओ । तेणाणाविया रोहिणी,
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