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मारिसु निसंक, तुह पsिts मरणअवत्थ वंक ||३७|| इस जंपिय कंपियन हु तहेव, झाणंह नवि चुकओ कामदेव । तं जाणि नोनियसुंडदंडि, उच्छालिय गयणिहि ते भांडे ||३८|| निवडत दंतसलिहि विद्ध, पुण रोसिहि नियमयतिलिहिं द्धि । विहि दिट्ठ दुक्ख नारय सखिख, तहवि हुन हुखंडिय धम्मपक्व ।। ३९ ।। अह हथिरूव संहरिय तेण किय सप्पखव देविहिं खणेण । घणकज्जलसामल कुडिलकाय, रोसारुण नयण जिसओ पिसाय ||४०|| दिट्ठीविस एरिस अकराल, मितओ फूकिहि विसहझाल । तसु अग्गह आवीय भगइ एम हिव छुट्टसि मुझ दसि पडियम' - ४१६/- अवि अत्यसि किय काउसम्म इणि धम्मि नत्थि तुह मुक्ख सग्ग । तउ म करि अभिग्गह नीम आदि, -मई इसिय मरण पामिसि अकालि १४२ ।। इस वार वार बागरिय तास, पुण चित्तह न गयउ धम्मवास ठंड तवखणि उग्गंभूयंग रीस, भरि आवीय वीट गीव सीस ||४३|| दसणिहि करि उसिवा लंग्ग अंग, पुण: होंड लान चिन्तभंग । खोइ त हीयइ सुतिक्ख दाढ, इष्टिपरि तिणि वेयण सहिय गाढ ॥४४॥ घात - अह अह । परंजिय सुरमणपंजियतसु निम्मलगुण सो मुणए । पयडीहुअ तक्र्खाणि जप जय रव भणि कामदेव सावय थुपए 1४41 | जस कन्नजुयल कुंडल विसाल, अमिलाण कंठि वरकुसममाल । सिरिमउड रयण मणि जडिय चंग, आभरणिहि झिग - सिय करइ अंग - ।।४६ ।। आडफारहार सिंगारसार, कयवार करई सुर बार-बार हरि हर चउराणण अमरवार, सुरतुह गुण नवि लहई पार ||४७|| तरं धन्नपुन्न गुणस्यणखाणि, जसु जंपर जस नियमहरवाणि सुरवंड सुर चिविट्ट. ते कामदेव मई अज्ज दिट्ठ ॥४८॥ सहल तुह जीविय- मणुअंजम्म, जिंणि उज्झिय न तु जिम राध
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