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|| सेचनकदृष्टान्तः ।। शएगाए अडवीए महल्लयं हथिजूहमावसइ । जाए जाए कलह जूहाहिबई विणासेइ ।।१॥
एमाए हत्थिणीए सगन्भयाए विचितियं चित्ते । मा मारिजउ जूहाहिवेण मह पुत्तो नाम ।।२।।
जुहाउ ओसरिता पयदोसेणंव सणियमेइ पहे । पच्छावडिया नडिया मायाए अहह दंभित्तं ॥३॥ ॥१७९।।
काऊणग्गै जूहाहिबई जूहं पयाइ सा मिलि । पुणरवि पच्छा पाडई बियत ईयदिणाण अंतरयं ॥४॥ काऊण पुणो मिलई हस्थी जाणेद पायदोसिल्ला । रिसिआसममेईए दिदै सरणारिहं रन्ने ॥५॥ तत्थायासी सीसंमि पूलयं सा घरित्तु करुणाए । तेहिं दिग्नं ठाणं सा तत्थ सुयं पसूआ य ।।६।। तं तत्थ ठवि उमेसा समागया करिकुलस्स मज्झम्मि । न ह केणवि विन्नाया इत्थीणमहो महामाया ॥७॥ वड्ढतो गयकलहो सिसहि सद्धि स तावसाण वणं । सिचइ संडादंड भरिय जलेणं गिरिनईणं ।।८।। सनाम सेअणओत्ति जायमुद्दामथाभवं समभू । मारित्तु जहाहिवई सयं जाओ ।।९।। रोसेण तेण करिणा स भंजिओ आसमो तवस्सीणं । अन्नावि कावि मेवं काही करणित्ति चितित्ता ॥१०॥ तत्तो रुसिया फलफजपाणिणो तावसा गया पासं । सेणियनिवस्स साहंति हथिणी तस्स वुत्तत्त ॥११॥ एगो लक्षणवंतो अत्यि महंता (तो) वणम्मि गंधगओ । सेयणउत्ति पसिद्धो तओ स गंतूण भूवेण ।।१२।। निगहिऊणाणीओ बद्धो आलाणखंभदेसम्मि । आगंतणं रिसिणो भणंति इइ कडुअवयणाई ।।१३।।
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