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॥ श्यायामां अने पाश्चिमान्य प्रतियोमा स्वधर्मन दूपिन कर्या विना नागवामां तो हृदयी समन डे अने तेमने महाय आ-al
पामां ने ओ सम्हा जन्मक ग्डे छे, पातानी कामना सांका विज्ञान नथा नयोगी थवा इच्छता होय नमने मासिक वेतन | ( स्कोमशीप ) आदिधी निबाहनी चिंतामाथी मुक्त करवा अने तेमने उन्नतिना हंचा शिखरनुं दर्शन करावm ए-18
ची शेव बसनर्जनाना हृदयमां सदा कला रथा करें छे. या देशना तेमज परदेशना म्होटा विकानोने, कवित्रोन | अने ग्रंथकागन तमना कार्यमा जुनेजन प्रापचामांज नेमनी नदारता सार्यक थाय छे. "कळवणी पामी संम्कारिणी थयेबी श्राविकाओं स्वतंत्र, समर्थ, सदाचारी, अने धमिष्ट विपिओ भई श्रावक संसाग्ने दीपावे अने पोनानी बा
छ प्रजाने केळची वीरपुत्रनी पदवी सार्थक को " ए इच्छा शेठ वसनजीलाना हृदयकमळमां सदा जानन रहे छेहै. “जनमजा सदा आरोग्य, स्वस्थना, शक्ति, मंदरता अने कल्याण प्राप्त करवाने अधिकारी याय," एवी उत्तम था' रणा नेओ धारण करे छे.
शव वसनीनाइनु वर्तमान जीवन उच्च प्रकारच् छ. नओं प्राय करीने नियमित रीते यांतानुं प्रवर्तन चझाव . तयनी दिनचर्या नियमित अन सामयी चरपर छ. आईव धर्मनी आगधना करवामां अन सदविचारया मुशोजित एवा मुत्पुस्तको पांचवामां नेसनो समय पण नागे निर्गमन धाय में नेत्रो व्यवहारने अनुमरी प्रवनै छ,13 नथापि नमना हृदयमा नाविक विचागे सदा अदजव्या करे . तमनी स्वनाव दयामय अने प्रेमाल होबाथी तेओ। प्रत्येक स्थाने उत्तम प्रान पामे है. कोऽपण विद्धान के गुणी तेमनी मुलाकात बजे, ते तेमना विनय, विवेक अने अने सादास वगरे नुत्तम गुणा जोड संतोष पामे छे.
शत वसनजीजाइ पोताना सुखी कुटुंबा संतापी रवी वर्तन्यपानापर रहे . तेानी अवाचन जाननायो प्राचीन नावनाओने अनुसरे उ. तेश्रो व्यवहार मागने मान आप, तथापि “जोमेश्वर्यमांथी-विषय वासनामांथी निवृत थव अने साधुना संपादन करनी ए आपाठं पातानं कार्य में अने आपणा पोताना शर्मा ने."
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श्री नुपदशरत्नाकर