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________________ मिनी । सो नामेण कुंडको || पुस्सा पुण तस्स पिया । रिद्धि सिरिकामदेवसभा || ४२ ॥ सहपुत्तनामा | पोलासंमी कुझाव जाइ ॥ जज्जा य अग्गिमित्ता । कंचएकोमी से तिन्नि ॥ ५२ ॥ चवीसकाकांमी. गोल अव राजनियरे ॥ स्यगां जज्जा तेरस । वसेको ॥ ४३ ॥ साथीयरी नदीपि नाम सओ जाओ ॥ ग्रस्सिलि ॥ नामा जज्जा | आसमा अरि ॥ कंहिसपुर पाटणां कुरुको नाम व हनी ने पुष्पा नाम श्री हनी, तथा तेनी रिद्धि पल कामदेव श्रावक जेटली होती ॥ ४१ ॥ पानासपुग्मां सद्रासपुत्र नामै आवक हतो ने जाननी कुंभार हो अग्निमित्रनाम स्त्री हती. तथा तेनी पात्र को सांना मोहोगे हनी ॥ ४२ ॥ बळी राजग्रही व गोकुलवान् शन नामे श्रावक हनी नेते श्रीओ माहोगे हनी ॥ ४३ ॥ श्रावस्ती नगरीमां नंदन पिता नाम यो न चिनी नामी हृती तथा नेटिव करीने आनंद श्रावक रखी हो || ४५ ॥ नगरमा चोवीस को सोना मोहोरांवाली नया हनी, मांय रेवतीनी पाए उक्रेन मोना क्रम अने वाकीनी ने एक एक क्रोम मांना मांडींगे ही। जुश्र * वने उपासिगदशांग) श्री उपेदशरत्नाकर.
SR No.090523
Book TitleUpdeshratnakar
Original Sutra AuthorMunisundarsuri
AuthorMunisundarsuri
PublisherJain Dharm Vidya Prasarak Varg
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size11 MB
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