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आ संपादन पाळ रात दिवस जोया विना ते सुंदरमां सुंदर केम बने तेवो निरंतर प्रयास करनार अने आने पोतानुज कार्य समजी व्यवस्थित रीते पूर्ण करनार मारा धर्ममित्र भाई श्री सुबोधचन्द्र नानालाल शाहना अमे अत्यंत ऋणी छीए.
साईनाथ टाईपोग्राफी प्रेसना सौजन्यभर्या व्यवहारथीज अमे मात्र पांच मासना टुका गाव्यमां आ ३५ फरमानो ग्रंथ प्रकाशित करी शक्या छीए ते बदल तेमना पण अमे आभारी बीए.
प्रान्ते
आ शुभ अने आत्मकल्याणकर कार्य द्वारा कारी पाठक महानुभावो पोताना दुस्तर संसारने
त्रि. सं. २०३३, माघ शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार ता. ४--२-१९७७
अमे, अने आ ग्रन्थना अध्ययन द्वारा आ मन्थना अधिको करो एज एक अभिलापा साधे विरमुं छं.
प्राणलाल सुंदरजी कापडिया
व्यवस्थापक, श्री गं. जै. चे ट्रस्ट
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॥ सात