SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकी निवेदन Re-04- 47 अने त्यारवाद, मारा कल्याणमित्र श्री हर्षदभाई मणिलाल संघयोना सौजन्यथी, अमदाबादना लालभाई दलपतभाई भारतीय विद्यामंदिरनी विक्रमनी सत्तरमी शताब्दीमा लखायेली प्रति मेरवया अमे भाग्यशाली बन्या. उपरोक्त त्रणेय प्रनो श्री सुबोधचन्द्रदिने आपी अने तेना परथी पाठांतरो बगेरे लेवानी अने सुयोग्य संपादन करवानी अम तेमने विनंति की अने ते कार्य तेमणे संपूर्ण कयु. सुंदरका नाम सुना अलेशतिर इस मुग आ बधी अमारी अभिलाषाओ पूर्ण करवानी अमे बनती कोशिष करी के छतां अमे तेमा केटला सफल बन्या छीए तेनो निर्णय आ अन्धना पाठको स्वयमेव ज करी ले. आ प्रन्थ छपातां ज तेना अगाउथी ग्राहक थवा माटे जे जे संघो तथा ट्रन्टोए पोताना हस्तकना ज्ञानखाताओनी रकमो अमने आपका द्वारा सहाय करी छे ते ते संघोना तथा ट्रम्टोना अने आबी प्रेरणा आपनार पूज्य गुरु भगवंतोना अमे अत्यंत उपकृत छोए. आ ग्रन्थ पूज्य साधु साध्वीजी महाराजोने विनामूल्ये आपी शकाय ते माटेज झानखाताओनी रकमोनो अमे स्वीकार कयों के अन्यथा आवी रकमोनो स्वीकार करयो अमारा माट दोषरात्र हतो एटलो खूलामो करी लषो आवश्यक समजुं हूं, ॥ छ
SR No.090518
Book TitleTrishashti Shalaka Purushcharitam Mahakavya
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages439
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy