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________________ अमारा ट्रस्टे निर्णय कर्यो के आ पावन कार्यनो लाभ अमारे ल्यो, परन्तु संपादन केम कर ? जूनी हस्त प्रतो उपरथी पाठान्तरो केबी से ऐसा विषय कोरे का ? ते सर्व विषयोमा अमे अजाण हना अने तेथी कोइ एवी व्यक्तिने शोधना हता के जे आ सर्व कार्योंने सुचारुरूपे संमाळी शके. छेवटे मारा धर्ममित्र, भाई श्री सुबोधचन्द्रभाईने आ कार्य माटे में विनंति करी के 'आ कार्य तम सुंदर रीने करी आपो 'तेमणे पण केटल्लांक सूचना करना पूर्वक मारी विनंति स्वीकारी. तेमनां सर्व सूचनो अमे स्वीकार्या जे पैकी मुख्य सूचन ए हतुं के आज पूर्वे श्री जैनधर्मप्रसारक सभा - भावनगर तरफथी जे दशम पर्व उपायुं छे तेना परवी ज मुद्रण न करावनां जूनी हस्तप्रतो परथी ज मुद्रण करावयुं आ रीते मुद्रण कराववानो निर्णय थतां ज जूनी हस्तानतो मेळववानी अमे कोशिश करी अने परमपूज्य, आचार्यभगवंत, श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजना विद्वान् शिव्यरत्न, पूज्यपाद आचार्य श्री विजयकन कन्चन्द्रसूरीश्वरजी महाराजनी कृपाधी अमे संभावना नीतिविजय शास्त्रसंग्रहनी, विक्रमनी मी शताब्दीमा लखायेली प्रति मेवा भाग्यशाली बन्या. ते पछी परमपूज्य आचार्य भगवंत, श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजना विनयी शिष्यरत्न, पूज्यपाद आचार्य श्रविजयमहोदय सूरीश्वरजी महाराजनी कृपाथी उमोईना आर्यजंबूस्वामीमुक्ताबाई जैन शानमंदिरी विक्रमनी सत्तरमी शताब्दीमां लखायेली प्रति मेळावा असे भाग्यशाली बन्या ॥ पांच
SR No.090518
Book TitleTrishashti Shalaka Purushcharitam Mahakavya
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages439
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size9 MB
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