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________________ अनेक मुनि भगवतो तथा महानुभात्र श्रमणोपासको द्वापार अंगुलिविंद बरसा रहो. संपादकीय मुद्रगणना विवागेनु उत्थान मारा गनजन्मनां पुण्यानुबंधी पुष्योना परिपाकना योगे प्रस्तुत विषष्टिशलाकापुरुषचरित-दशमपर्नु पाठांतरो आदिथी परिमार्जन करी संपादन अने पुनर्मुद्रण करावयानो निर्णय मरा कल्याणमित्र अन तेथी उपकारी एवा सुश्रावक श्रीयुत प्राणलाल मुंदरजी कापडियाए को अने तेनी सर्व जोखमदारी मारा पर मूकी. तेमणे एक वार मने कहयु के- "आपणा परमगुरुदेव के जमणे आपणने श्री जिनेन्द्र भगवंतो ओन्टयाव्या, धर्मनो मर्म समजावी सम्यग्दर्शन यथास्थिन रूपे ओळखाव्यु अने भवनो भय पेदा कर्यो ते-आचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज पोतानी धर्मदेशनामां, सतत धननो सात क्षेत्रमा व्यय करी तेने सफल करवान फरमाबे छे अने तेथी मारे पण पुण्यथी प्राप्त थयेल धननो शक्य तेटलो व्यय ते ते क्षेत्रमा करयो छे. जिनमंदिर अने जिनबिम्ब आ बने क्षेत्रोमां यनकिंचित धनव्यय में कों में, त्रीजा क्षेत्र जिनागममा मारी इच्छा, जे प्रन्थराज आजे सुलभ नधी अने जेमा आपणा परमतारक परमेश्वरन विगतपूर्ण जीवनचरित्र छे ते श्री त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित-दशम पर्वर्नु पुनमुद्रण करावी ते ग्रन्थना अधिकारी पाठको माटे ते ग्रन्थ सुलभ थाय तेम करवानी ले.” एटले आ ग्रन्थ आजे वाचकोना करकमलो सुधी पहोंची शक्यो होय तो ते यश, परमगुरुदेव, वर्तमान कालमा अजोड धर्मप्रभावक, सुविशुद्ध जिनमार्गना यथास्थितप्ररूपक AKADCASEARRIAGRA गयावीस
SR No.090518
Book TitleTrishashti Shalaka Purushcharitam Mahakavya
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages439
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size9 MB
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