SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संपादकीय नि:सीम उपकारी, प्रभुभक्तिना रंगेओतप्रोत थयेला, कलिकालसर्वज्ञ, आचार्यमुकुटमणि, परमपूज्य, आचार्यभगवान् श्रीमद् हेमचन्द्रसूरीश्वरजीए विक्रमनी तेरमी शताब्दिमा परमाईत श्री कुमारपालभूपालनी भक्तिभावभरी प्रार्थनाथी रचेल श्री त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित महाकाव्य दस पर्बोमां व चालुं छे. उपरोक्त दमेय पर्योन भावपूर्वक वाचन, आपणन असंख्य वर्षोथी आज मधीनो ते इतिहास पूरी पाड़े के के जे वाचतां श्रद्धाळु आत्मा भावविभोर थया मिवाय तो न रहे पटलं ज नहि पाग आवा महामन्थना रचयिता प्रत्ये नतमस्तक धया विना पण न रहे. आ दसे य पर्बोर्नु मुद्रण अनेक वर्षों पूर्व जैनधर्मप्रसारकसभा-- भावनगर तरफथी करावायु हतुं . परंतु तेना अभ्यासी वाचकोनी संख्या दिन प्रतिदिन बधतां ते दसेय पर्वो मुगमताथी प्राप्त थवा दुर्लभ बनी गयां हां. रेल्ला केटलांक वर्षों पूर्व आ दुर्लभता आंख साम राखीने जैन आत्मानंद सभा-भावनगर तरफथी प्रस्तुत प्रन्धराजना १ थी ६ पर्यो पाठान्तरो आदिथी परिमार्जित करी प्रकाशित करायां के. प्रस्तुत ग्रन्थराजनुं दसमुं पर्व तो वपा बीतवा छतांय पुनः मुद्रित थयेल न हतुं अने आ न्यूनता तरफ | एकवीस
SR No.090518
Book TitleTrishashti Shalaka Purushcharitam Mahakavya
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages439
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy