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दरेक पृष्ठमा लाभग १७ पंक्तिओ छ, दरेक पंक्तिमा ६० थी ६५ अक्षरो छे, दोक पृष्ठमा लखाणना मध्यभागमां थोडो भाग कोरो मूकी बायडीनो आकार आलेखायेलो छे.
दरेक पृष्ठनी बे तरफ काठी शाहीनी बब्बे लीटीओ बे वार आंकी (वो थोडं अंतर राखी) हांसिया पाडवामां आव्या छ हांसियामा डाया हाथ तरफना उपरना भागमा 'त्रि, महावीर च.' लखी तेनी नीचे पृष्ठनो आंक लखायो छे. अने जमणी तरफ नीचेना भागमां पण पृष्ठनो आंक आलेखायो छे. ज्यारे बीजी बाजुना पृष्ठमां हांसियो कोरो रखायो.
ग्रन्थनो प्रारंभ “॥ ॥ अहं ॥" लखीने करायो छे, प्रति कोणे लखावी ? कोणे लखी? ते जाणवार्नु कंइज साधन उपलब्ध नथी. । संक्षक प्रति
लालमाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर-अमदावादनी की-४८२,१०५५० संज्ञक, पत्र २ श्री १७५ पर्यंतनी आ प्रति छ ।
प्रथम पत्र नथी, १७५ मुं पत्र कोरं छे. "लेखन संबत् १७ मी शताब्दि" एवो प्रतिना कवर पर उल्लेख छे, ज्यारे प्रति पर तेवो कोई उल्लेख नथी. १७४ मा पत्रना नीचेना भागमां कागळ चोडी देवायेल के.
प्रति जी छे, दरेक पत्रमा १३ पंक्तिओ छे. दरेक पंक्तिमा ४० लगभग अक्षरो छ प्रतिना दरेक पृष्ठोनी बने तरफ काळी शाहीथी डब्बल हांसिया पाडेल छेअने ते हांसियाओमां जरूरी नोंधो करायेली के जे पाथी उमेरायेली लागे थे.
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॥सत्तर॥