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प्रतिओनो परिचय अने गंकेतसूचि
प्रतिओनो
परिचय xसंकेतसृषि
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प्रस्तुत विषष्टिशलाकापुरुषचरित दशम पर्वन संपादन त्रण हस्तलिखित प्रत्ओि तथा एक मुदित अन्य एम चारने आंख सामे सवीन करवामां आव्यु छे.
जे प्रतिओने आंख साम राखीन संपादन करायंछते प्रतिओनो परिचय अने संकेत नीचे दर्शावायचे (, संक्षक प्रति
आ प्रति, जैनशाच्या स्थापित श्रीनीतिविजयजी शास्त्रसंग्रह- स्थंभनतीर्थनी थी नं २२६, प्रति नं. १८७७, पत्र ८० प्रमाण के. जेनुं प्रथम एप को छे. अंनिम पृष्ठ पर मात्र एकज पंक्ति छे, जेमा "शुभं भवतु लेखक पाटकयोः ॥ श्री-श्री..श्रीकल्याण मुयात्" आटलो पाठ छे.
आ प्रतिनो अंतिम भाग खवाई जयाथी लेनो लेखनकाल स्पष्ट समजाले नथी. मात्र १३' आटला अक्षरोज पंचायछे जेथी प्रतिनो लेखनकाल चौदमी शतान्दिनो हशे तेम अनुमान थाय ने पनि अतिशय जीर्ण थे., ठेर ठेर जीवात द्वारा प्रति खवाई गई, लगभग कोइज पार्नु अखंडित नथी. लिपि पडिमात्रामा छे. अशुद्धि पण प्रमाणथी वधु, क्यांक चालु पाठो वचमां छूटी गया ले जे २.-३ पृष्ठ पछी लग्बवामां आव्या छ. आ बधु जोता आ प्रति, लखाया बाद परिमार्जन थया विनानी देखाय छे.
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