SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बदले, पोताने समजाय ते अने तेटलं ज साचुं मानवानी अहंकारी वृत्तिज सत्यदर्शननी आडेनो सहुर्थी मोटो अंतराय छे. एने दूर कर्या सियाय पोताना बिचारोने 'दर्शन' या 'चिन्तन'नं उजलं नाम आपवाथी, ते विचारोनी किंमत तुकाओथी विशेष वधती नथी. इतिहास अने विज्ञानने नामे चमत्कारोनी हांसी करनाराओए इतिहास अने विज्ञानना क्षणे श्रणे बदलाता अभिगमोनो चमत्कार भूलयो न जोईए.. खरखर तो, कुतकांना कचरा खरखरीन, मनोभूमिने श्रद्धाथी शुद्ध बनाव्या सिवाय आशं चरित्रो बाचन लाभने बदले नुकसान ज करे छे. अने माटे ज ने श्रद्धाने शिथिल करी नास्वनारा बळोने ओळखायचा आटलो प्रतिकार प्रसंगोचित गण्यो छे. अंतमां, अनन्तउपकारी श्री अरिहंत परमात्माओना पावन-शुद्ध स्वरूपने प्राप्त करवानी झंखना पूर्वक सरकोड आवां पविच चरित्रोनु वाचन करे, ते वाचन द्वारा शुद्ध आत्मस्वरूपने पामवाना उपायोनं ज्ञान मध्य्चे अने ते उपायोने सारी रीते सेवीने पोताना शुद्ध आत्मस्वरूपने पामवानी पोतानी झंखनाने सफल बनावे एवी शुभकामना सेव॒ टुं. मुनि चन्द्रगुप्तविजय वि. सं. २०३३, माह सुद १३, बुध कल्याण (जि, था'गा) पंदर
SR No.090518
Book TitleTrishashti Shalaka Purushcharitam Mahakavya
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages439
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy