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अोकोना अंको, लाल रंगथी दरेक पत्रना बीजा पृष्ठ पर अंकित कराये छे. हरेक पष्ठनो मध्यभाग कोरो राखी जटकोण बनाकर किस करायो के प्रति परिमात्रामा अने घणे स्थळे अशुद्ध के. प्रतिना पत्र २ थी ११ शाही ढय्याची सरडायेला ले. प्रतिना पत्रों अखंडित है, प्रतिना लेखक के लेखनकाळ अंगे जागवानुं कोइ ज साधन उपलब्ध नथी
D संज्ञक प्रति-
आ प्रति आर्य श्री जम्बूस्वामि जैन मुक्ताबाई आगममंदिर - डभोईनी डाभडा नं. ११६, क्रमांक नं. ३५३२ पत्रसंख्या १६२ संज्ञक छे.
आ प्रतिमां पत्र तथा १५७ नथी. उपरांत पत्र १८ पछी पत्र १९ ने बदले पत्र २० लखवानी भूल पण करायेली ले जेने आगळ पण सुधारी लेवाई नथी जेथी प्रतिनां कुल पत्रो २६२ न होता १५९ ज छे, प्रतिनो लेखनका वि.सं. १६२९ श्रावण सुद १२ नो के प्रति पूर्णिमापना श्रीपूज्य श्री अमर तिलकसूरिखी छे एम प्रतिना प्रान्तभागे करायला उल्लेखथी जणाय पत्र १ नो आगो भाग तथा पत्र २६२ नी पाछनो भाग कोशे थे, प्रतिनी चने बाजु काळी अने लाल शाहीथी हांसिया पडायेला हे प्रतिना हरेक ठनो वचलो भाग कोरो रखायेल के प्रति पडिमात्रामा लखायेल के. दरेक पृष्ठमा १५ पंति.ओ . दरक पंक्तिमा ३० लगभग अक्षरो के प्रतिना हासियामां बीजा धीजा मन्थोना उद्धरणो पण टांकवामां आव्यां छे. प्रति घणी शुद्ध अने सारी स्थितिमा है.
प्रतिओनो परिचच अने संकेतसूचि
॥ अढार ॥